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बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2022
पृष्ठ :171
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2640
आईएसबीएन :000000000

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बीए सेमेस्टर-3 अर्थशास्त्र : सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- एडम स्मिथ की व्यवस्था के अन्तर्गत " श्रम विभाजन" और "बाजार के विस्तार" की भूमिका स्पष्ट कीजिए।

अथवा
'श्रम विभाजन' और 'बाजार विभाजन' सम्बन्धी एडम स्मिथ के विचारों की व्याख्या कीजिये।
अथवा
एडम स्मिथ के आर्थिक विचारों में आदृश्य हाथ और श्रम विभाजन के प्रत्ययों की व्याख्या कीजिये।

उत्तर-

एडम स्मिथ ने जहाँ एक ओर स्पष्ट किया है कि समस्त आर्थिक संस्थाओं एवं क्रियाओं का उदय स्वाभाविक रूप से हुआ है, वहीं दूसरी ओर उन्होंने माना है कि आर्थिक प्रगति बाजार के आकार पर निर्भर करती है। अतः प्राकृतिक एवं आकस्मिक रूप से जिस किसी वस्तु अथवा संस्था का उदय होता है, वह मानव के लिए कभी भी अहितकर नहीं होता। संक्षेप में, आर्थिक विचारों के विकास में एडम स्मिथ के 'अदृश्य हाथ' व 'बाजार के आकार के प्रत्यय को निम्न परीक्षणों द्वारा व्यक्त किया जा सकता है:

श्रम विभाजन पर एडम स्मिथ के विचार

एडम स्मिथ का कहना था कि आर्थिक संस्थाओं का जन्म और विकास स्वतः हुआ है। इन संस्थाओं को मनुष्य द्वारा किसी योजना के अनुसार नहीं बनाया गया है। वे समझते थे कि जो आर्थिक स्थिति विद्यमान है, वह असंख्य लोगों की आकस्मिक क्रियाओं का परिणाम है। यही स्मिथ का प्रकृतिवाद है। उदाहरणस्वरूप श्रम विभाजन की क्रिया को समझाते हुए स्मिथ ने लिखा है कि, "श्रम विभाजन किसी मनुष्य की बुद्धि का परिणाम नहीं है। यह मानव स्वभाव की विनिमय प्रकृति का क्रमिक परिणाम है।"

स्मिथ ने श्रम महत्त्व को समझा तथा अपनी महान् पुस्तक 'वेल्थ ऑफ नेशन्स' में इसे इस प्रकार स्पष्ट किया " प्रत्येक राष्ट्र का वार्षिक श्रम ही वह कोष है, जो मूल रूप में उसकी समस्त आवश्यक एवं सुविधाजनक आवश्यकताओं की पूर्ति करता है और जिसका उपभोग राष्ट्र द्वारा सारे वर्ष किया जाता है।"

स्मिथ के विचारानुसार प्रतिवर्ष उपभोग की जाने वाली सामग्री का उत्पादन मानव अथवा श्रम द्वारा किया जाता है। यह उत्पादन पारस्परिक सहयोग का परिणाम है न कि प्राकृतिक शक्तियों का उत्पादन मुख्य रूप से श्रमिक की कार्य-कुशलता आदि पर निर्भर करता है।

श्रम विभाजन सहकारिता का एक रूप - श्रम विभाजन सामाजिक सहकारिता का एक स्वरूप है, जो एक विशेष प्रकार के सामाजिक सहयोग का स्वयं आभास हो जाने के कारण उत्पन्न हुआ है। मानवीय स्वभाव के अनुरूप मनुष्य उस कार्य को करना अधिक उपयुक्त समझता है जिसे वह अधिक भली प्रकार कर सकता है। व्यक्तियों ने अपनी-अपनी रुचियों के अनुसार कार्य करना प्रारम्भ किया और उसमें दक्षता प्राप्त करते-करते अधिकतम उत्पादन करने लगे। एक-दूसरे के सहयोग से सभी की आवश्यकताओं की पूर्ति होने लगी।

श्रम विभाजन का विनिमय से निकट सम्बन्ध - श्रम विभाजन एवं विनिमय से समाज के विभिन्न अंगों के बीच पारस्परिक सम्बन्ध स्थापित होता है। प्रो. ग्रे के शब्दों में समाज में पारस्परिक सम्बन्ध विनिमय के द्वारा स्थापित होता है, जो स्वहित की भावना द्वारा प्रेरित होता है और श्रम विभाजन पर आधारित होता है।

डॉ. जीड़ एवं रिस्ट के अनुसार " श्रम विभाजन, सामाजिक सहकारिता के एक विशिष्ट रूप का साधारण तौर पर ऐच्छिक प्रत्यक्षीकरण है।"

श्रम विभाजन के लाभ

श्रम विभाजन एडम स्मिथ का प्रारंभिक तथा महत्त्वपूर्ण सिद्धान्त है, जो बाद में चलकर मूल्य सिद्धान्त तथा मार्क्सवाद का आधार बना। इसके प्रमुख लाभ निम्नांकित हैं

1. सुधारों एवं आविष्कारों को प्रोत्साहन - श्रम विभाजन के उद्योगों में सुधार एवं खोज को भी प्रोत्साहन मिलता है। विशिष्टता प्राप्त करने के फलस्वरूप श्रमिक विशेष प्रक्रिया में सुधार ला सकता है एवं नये यंत्रों का आविष्कार कर सकता है।

2. कार्य कुशलता में वृद्धि एक में वृद्धि - एक ही कार्य करते-करते व्यक्ति को उस कार्य में दक्षता प्राप्त हो जाती है तथा मनुष्य की कार्यकुशलता बढ़ जाती है।

3. कुल उत्पादन में वृद्धि - श्रम विभाजन में प्रत्येक व्यक्ति अपनी इच्छा के अनुरूप वही कार्य करता है, जो वह पसंद होता है। इसलिये वह अपनी क्षमता का अधिकतम उपभोग करते हुये अधिकतम उत्पादन करता है।

4. समय की बचत - प्रत्येक व्यक्ति अपना-अपना कार्य ही करता है, इसलिये सारा कार्य एक क्रमबद्ध रूप से कम समय में सम्पन्न होता रहता है।

श्रम विभाजन के दोष श्रम विभाजन के निम्नलिखित दोष हैं -

1. श्रम विभाजन बड़ी इकाई के उत्पादन पर लागू होता है, यह छोटी इकाई पर लागू नहीं होता।

2. जब व्यक्ति एक ही तरह के कार्य करता है, तब कार्य करने में अरुचि उत्पन्न हो जाती है जिससे वस्तु के उत्पादन में कमी आती है।

एडम स्मिथ के बाजार विस्तार सम्बन्धी विचार

एडम स्मिथ का बाजार सिद्धान्त बहुत दोषपूर्ण होते हुए भी बाद में अर्थशास्त्रियों के लिए एक वरदान बना।

स्मिथ स्वतन्त्र व्यापार को राष्ट्रीय आर्थिक नीति का प्रमुख अंग मानना था। वह आन्तरिक व्यापार को ही नहीं, बल्कि अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार को भी सरकारी हस्तक्षेप से बचाना चाहता था। वह चाहता था कि स्वतन्त्र व्यापार को एक राष्ट्रीय नीति बना लिया जाय। वणिकवादी नियन्त्रित व्यापार के पक्षपाती थे और प्रकृतिवादियों ने विदेशी व्यापार के अस्तित्व को तो स्वीकार नहीं किया था, परन्तु वे मुक्त व्यापार के पक्षपाती अवश्य थे। इन दोनों विचारधाराओं में से स्मिथ प्रकृतिवाद से अधिक प्रभावित था। उसने मुक्त व्यापार की भूरि-भूरि प्रशंसा की और नियन्त्रण या संरक्षण का अन्तिम समय तक विरोध किया। मुक्त "व्यापार या बाजार विस्तार के पक्ष में उसने निम्नलिखित तर्क प्रस्तुत किये हैं :

(1) श्रम का अन्तर्राष्ट्रीय विभाजन - स्मिथ अन्तर्राष्ट्रीय अर्थशास्त्री था इसलिए वह सम्पूर्ण विश्व के आर्थिक कल्याण में वृद्धि करने वाली व्यवस्था स्थापित करना चाहता था। उसके अनुसार, उत्पादन के क्षेत्र में श्रम विभाजन के अधिकाधिक लाभों को प्राप्त करने के लिए अन्तर्राष्ट्रीय क्षेत्र में भी स्वतन्त्र अर्थ-व्यवस्था होनी चाहिए। वह मानता था कि विनिमय का क्षेत्र जितना व्यापक होगा, श्रम- विभाजन उतना ही व्यापक होगा और लाभ भी बढ़ता चला जायेगा। स्मिथ का विश्वास था कि विभिन्न देशों में प्राकृतिक साधनों का आवंटन इस प्रकार होता है कि कुछ वस्तुएँ बनाने में एक देश को दूसरे देशों से अधिक प्राकृतिक लाभ प्राप्त होता है। स्वतन्त्र व्यापार विभिन्न देशों में मध्य प्रादेशिक श्रम विभाजन को सम्भव बनाता है और वे देश आपस में वस्तुओं का विनिमय करके अपने-अपने साधनों का अधिकतम शोषण करने में सफल हो जाते हैं, परन्तु संरक्षण प्रादेशिक श्रम विभाजन में बाधाएँ डालता है और लोग इसके लाभ से वंचित रह जाते हैं। स्मिथ लिखता है कि- "परिवार के बुद्धिमान मुखिया का यह नियम होता है कि वह उस चीज को नहीं बनाता, जिसे वह सस्ते दाम पर बाहर से क्रय कर सकता है।"

(2) विनियोग का मितव्ययितापूर्ण होना - पूँजी की यह स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है कि वह स्वतः ही ऐसे मार्ग पर चल पड़ती है जहाँ उसे अधिक लाभ मिलता है, परन्तु नियन्त्रण या संरक्षण की नीति से हम पूँजी को अपने मनचाहे स्थान की ओर नहीं ले जाते हैं। परिणामतः हमें वांछित लाभ नहीं मिल पाता है। सरकारी हस्तक्षेप के कारण पूँजी अधिक लाभदायक क्षेत्रों से निकालकर कम लाभदायक क्षेत्रों में लगा दी जाती है। उद्योग का विकास पूँजी पर निर्भर करता है। संरक्षण कभी-कभी इतना पक्षपातपूर्ण व कृत्रिम होता है कि वह अवांछित तथा अकुशल उद्योगों तक को दे दिया जाता है, जिसके कारण उत्पाद तो घटता ही है, साथ ही साथ, कुशल एवं योग्य उद्योग-धन्धे पूँजी के अभाव में दम तोड़ने लगते हैं। अतः मुक्त अर्थ व्यवस्था में विनियोग जितना अधिक मितव्ययतापूर्ण होता है, उतना नियन्त्रित अर्थ व्यवस्था में नहीं हो सकता। 

(3) उपभोक्ता को लाभ - मुक्त व्यापार की नीति से विनिमय का क्षेत्र व्यापक होता है। श्रम- विभाजन बढ़ने लगता है। उत्पादन लागत घटती है। एक देश से दूसरे देश को वस्तुओं और सेवाओं का आयात-निर्यात होने लगता है। लोगों को पर्याप्त मात्रा में वस्तुएँ उपलब्ध होने लगती हैं परन्तु संरक्षण नीति से आयात-निर्यात प्रतिबन्धित हो जाते हैं। विदेशों की सस्ती वस्तुएँ भी स्वदेश में महँगी मिलने लगती हैं।

अतः मुक्त व्यापार ही उपभोक्ताओं को सस्ती वस्तुएँ सुलभ करा सकता है।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- भारत के प्राचीनकालीन आर्थिक विचारधारा के प्रमुख स्रोतों का उल्लेख कीजिए।
  2. प्रश्न- कौटिल्य रचित 'अर्थशास्त्र' में 'कल्याणकारी राज्य' की परिकल्पना को स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- कौटिल्य की पुस्तक 'अर्थशास्त्र' में उल्लेखित विषयों की व्याख्या कीजिए।
  4. प्रश्न- प्राचीन भारतीय आर्थिक विचारधारा की मुख्य विशेषताएँ क्या थीं?
  5. प्रश्न- अर्थशास्त्र में उल्लिखित 'कृषि तथा पशुपालन' विषय पर टिप्पणी लिखिए।
  6. प्रश्न- कौटिल्य के राजस्व के संबंध में विचारों पर प्रकाश डालिए।
  7. प्रश्न- कौटिल्य के सार्वजनिक वित्त संबंधी विचारों पर प्रकाश डालिए।
  8. प्रश्न- कौटिल्य के कल्याणकारी राज्य की अवधारणा पर प्रकाश डालिए।
  9. प्रश्न- कौटिल्य के अनुसार, करारोपण राज्य के लिए क्यों आवश्यक है?
  10. प्रश्न- भारत में 19वीं शताब्दी में आर्थिक विचारधारा का विकास किन बातों से प्रभावित हुआ?
  11. प्रश्न- नरौजी के प्रमुख आर्थिक सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  12. प्रश्न- दादा भाई नौरोजी के निर्धनता सम्बन्धी विचार को समझाइये |
  13. प्रश्न- 'निष्कासन सिद्धान्त (The Drain Theory)' पर टिप्पणी कीजिए।
  14. प्रश्न- रोमेश चन्द्र दत्त का सामान्य परिचय दीजिए।
  15. प्रश्न- रोमेश चन्द्र दत्त के कृषि सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- "भारत की निर्धनता का कारण ब्रिटिश सरकार की शोषण नीति है।" रोमेश दत्त के इस कथन का विश्लेषण कीजिए।
  17. प्रश्न- "लगान की ऊँची दर भारतीय कृषि की दुर्दशा का एक प्रमुख कारण है।" स्पष्ट कीजिए।
  18. प्रश्न- रोमेश दत्त के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- डॉ. भीमराव रामजी अम्बेडकर के आर्थिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
  20. प्रश्न- डॉ. राम मनोहर लोहिया के प्रमुख आर्थिक विचारों की व्याख्या कीजिए।
  21. प्रश्न- गाँधी जी के 'समाजवाद' दर्शन का वर्णन कीजिए।
  22. प्रश्न- गाँधीजी और नेहरू जी के आर्थिक विचारों की तुलना कीजिए।
  23. प्रश्न- गाँधीवाद तथा साम्यवाद में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
  24. प्रश्न- गाँधीजी के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
  25. प्रश्न- गाँधीजी के मशीन सम्बन्धी विचारों को बताइये।
  26. प्रश्न- "नेहरूवाद मार्क्सवाद और गाँधीवाद का विवेकपूर्ण सम्मिश्रण है।" संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  27. प्रश्न- पंडित दीनदयाल उपाध्याय की आर्थिक नीति की मुख्य विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
  28. प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय भारी उद्योगों को अमानवीय और तानाशाही प्रकृति का मानते थे। क्यों? स्पष्ट कीजिए।
  29. प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय की विकेन्द्रीकृत अर्थव्यवस्था की अवधारणा को स्पष्ट कीजिए।
  30. प्रश्न- पं. दीनदयाल उपाध्याय के समग्र मानवतावाद के दर्शन की व्याख्या कीजिए।
  31. प्रश्न- दीन दयाल उपाध्याय की एकीकृत आर्थिक नीति की व्याख्या कीजिए।
  32. प्रश्न- अर्थशास्त्र में 'आवश्यकता विहीनता' की परिभाषा के जन्मदाता प्रो. जे. के. मेहता हैं। इनके आर्थिक विचार समझाइए।
  33. प्रश्न- अमर्त्य सेन के 'निर्धनता' सम्बन्धी विचार लिखिए।
  34. प्रश्न- वैश्वीकरण पर अमर्त्य सेन के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  35. प्रश्न- विश्व व्यापार प्रणाली के सन्दर्भ में भगवती के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  36. प्रश्न- व्यापार उदारीकरण पर भगवती के विचारों का वर्णन कीजिए।
  37. प्रश्न- प्लेटो के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
  38. प्रश्न- प्लेटो और अरस्तू के आर्थिक विचारों की तुलना कीजिये तथा आर्थिक विचारों के इतिहास में अरस्तू का महत्व बताइये।
  39. प्रश्न- प्राचीन आर्थिक विचारधाराओं की प्रमुख विशेषताएँ कौन-कौन सी थीं?
  40. प्रश्न- प्लेटो के 'साम्यवाद' की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  41. प्रश्न- सेण्ट थॉमस एक्विनास के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- उचित कीमत (Just price) सम्बन्धी सन्त थॉमस एक्विनास के विचारों का वर्णन कीजिए।
  43. प्रश्न- सन्त थॉमस एक्विनास के श्रम विभाजन सम्बन्धी विचारों की समीक्षा कीजिए।
  44. प्रश्न- वणिकवाद के उदय के मूल कारकों पर प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- 'वणिकवाद' के पतन के प्रमुख कारणों की विवेचना कीजिए।
  46. प्रश्न- उन परिस्थितियों का आलोचनात्मक विवेचन कीजिए जिन्होंने वणिकवाद को बढ़ावा दिया और जो इसके पतन का कारण बनीं।
  47. प्रश्न- वणिकवाद के सिद्धान्त एवं नीतियाँ लिखिये।
  48. प्रश्न- वाणिकवाद से क्या आशय है?
  49. प्रश्न- वणिकवादी दर्शन के मुख्य तत्त्व क्या थे?
  50. प्रश्न- वणिकवाद का आर्थिक विचारों के इतिहास में क्या महत्व है?
  51. प्रश्न- वणिकवाद के ब्याज के सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  52. प्रश्न- नव-वणिकवाद के उदय के कारण क्या हैं? संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  53. प्रश्न- पुराने वणिकवाद तथा नव-वणिकवाद में समानताएँ क्या हैं?
  54. प्रश्न- सोना चाँदी का महत्व बताइये।
  55. प्रश्न- वणिकवाद की एक राष्ट्रीय नीति के सन्दर्भ में चर्चा कीजिए।
  56. प्रश्न- वणिकवादियों के 'राज्य सम्बन्धी विचार' क्या थे? स्पष्ट कीजिए।
  57. प्रश्न- 'वणिकवाद एवं राज्य समाजवाद' पर टिप्पणी कीजिए।
  58. प्रश्न- थॉमस मून के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  59. प्रश्न- प्रकृतिवाद क्या है? प्रकृतिवादी वणिकवादियों का क्यों विरोध करते हैं?
  60. प्रश्न- प्रकृतिवाद और वणिकवाद के अर्थशास्त्रीय दर्शन में क्या मूलाधारीय अन्तर है? उनके समाज की आर्थिक दशाओं में प्रकृतिवादियों की देन की व्याख्या कीजिये।
  61. प्रश्न- प्रकृतिवाद के उदय के कौन-कौन से कारण उत्तरदायी थे?
  62. प्रश्न- आर्थिक तालिका अथवा धन के परिभ्रमण से क्या आशय है?
  63. प्रश्न- आर्थिक तालिका की दुर्बलताओं की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  64. प्रश्न- 'प्रकृतिवादी सिद्धान्त' क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  65. प्रश्न- समान त्याग के सिद्धान्त से क्या अभिप्राय है?
  66. प्रश्न- "सहयोगी समाजवादी" से क्या तात्पर्य है?
  67. प्रश्न- सर विलियम पैटी के आर्थिक विचारों का वर्णन करें।
  68. प्रश्न- तुर्गो (Turgot) के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  69. प्रश्न- लॉक के मूल्य सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  70. प्रश्न- लॉक के सम्पत्ति सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  71. प्रश्न- लॉक के मुद्रा सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- लॉक का विदेशी व्यापार सम्बन्धी व्यापार संतुलन के सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- "डेविड ह्यूम (David Hume) को मुद्रावाद का सूत्रधार कहा जाता है।" इस कथन की समीक्षा कीजिए।
  74. प्रश्न- एडम स्मिथ की पुस्तक 'राष्ट्रों का धन' (Wealth of Nations) का तत्कालिक आर्थिक विचारधारा पर क्या प्रभाव पड़ा?
  75. प्रश्न- एडम स्मिथ के आर्थिक विचारों के विकास में योगदानों का विवरण दीजिए तथा उनके, आर्थिक सिद्धान्तों का आलोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  76. प्रश्न- एडम स्मिथ की व्यवस्था के अन्तर्गत " श्रम विभाजन" और "बाजार के विस्तार" की भूमिका स्पष्ट कीजिए।
  77. प्रश्न- 'परम्परावाद' क्या है? स्पष्ट कीजिए।
  78. प्रश्न- आर्थिक विचारों के इतिहास में स्मिथ के स्थान को चिन्हित कीजिए।
  79. प्रश्न- अहस्तक्षेप नीति क्या है?
  80. प्रश्न- स्मिथ के सिद्धान्तों का समालोचनात्मक मूल्यांकन कीजिए।
  81. प्रश्न- स्मिथ का आशावाद क्या है?
  82. प्रश्न- एडम स्मिथ के पूँजी संचय सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  83. प्रश्न- वितरण सम्बन्धी एडम स्मिथ के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  84. प्रश्न- एडम स्मिथ के व्यापार सम्बन्धी विचारों को स्पष्ट कीजिए।
  85. प्रश्न- एडम स्मिथ के आशावाद पर संक्षिप्त लेख लिखिए।
  86. प्रश्न- स्मिथ के प्रकृतिवाद पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  87. प्रश्न- "रिकार्डों का मुख्य योगदान मूल्य सिद्धान्त तथा वितरण सिद्धान्त के क्षेत्र में है। " व्याख्या कीजिए।
  88. प्रश्न- रिकार्डो के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त की आलोचनात्मक विवेचना कीजिए।
  89. प्रश्न- उन परिस्थितियों का वर्णन कीजिये जिनसे प्रकृतिवाद का जन्म हुआ। प्रकृतिवाद का आर्थिक विचारों में क्या योगदान है?
  90. प्रश्न- रिकार्डों के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सिद्धान्त की चर्चा कीजिए।
  91. प्रश्न- डेविड रिकार्डों के 'मजदूरी सिद्धान्त' पर टिप्पणी कीजिए।
  92. प्रश्न- रिकार्डों का तुलनात्मक लागत सिद्धान्त बताइए।
  93. प्रश्न- रिकार्डों की प्रसिद्ध पुस्तक 'The Principles of Political Economy and Taxation' पर टिप्पणी लिखिए।
  94. प्रश्न- रिकार्डो के लगान सिद्धान्त की आलोचना कीजिए।
  95. प्रश्न- माल्थस के 'जनसंख्या सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी आलोचनाओं को बताइए।
  96. प्रश्न- नव-माल्थसवाद क्या है? इसके प्रमुख आर्थिक विचारों की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  97. प्रश्न- अति उत्पादन तथा लगान पर माल्थस के विचारों की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
  98. प्रश्न- माल्थस के 'लगान' सम्बन्धी विचार को स्पष्ट कीजिए।
  99. प्रश्न- माल्थस के 'प्रभावी माँग के सिद्धान्त' का विश्लेषण कीजिए।
  100. प्रश्न- माल्थस और रिकार्डो को निराशावादी क्यों कहा जाता है? स्पष्ट कीजिए।
  101. प्रश्न- माल्थस के विचारों को प्रभावित करने वाले प्रमुख कारक क्या थे? विवेचन कीजिए।
  102. प्रश्न- 'मार्क्स अन्तर्राष्ट्रीय समाजवाद के पिता के रूप में था।' स्पष्ट कीजिए।
  103. प्रश्न- कार्ल मार्क्स के 'द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद' को स्पष्ट कीजिए।
  104. प्रश्न- मार्क्स के 'अतिरेक मूल्य सिद्धान्त' की व्याख्या कीजिए तथा इसकी प्रमुख आलोचनाओं को स्पष्ट कीजिए।
  105. प्रश्न- मार्क्स के आर्थिक विघटन सम्बन्धी विचार की व्याख्या कीजिए।
  106. प्रश्न- "मार्क्सवाद परम्परावाद के तने पर उगी हुई शाखा मात्र है।" उक्त कथन की व्याख्या कीजिए।
  107. प्रश्न- क्या कार्ल मार्क्स को प्रतिष्ठित सम्प्रदाय का अर्थशास्त्री माना जा सकता है? विस्तार से समझाइए।
  108. प्रश्न- सहयोगी समाजवाद, राज्य समाजवाद और वैज्ञानिक समाजवाद की तुलना कीजिए और उनका अन्तर भी स्पष्ट कीजिए।
  109. प्रश्न- कार्ल मार्क्स द्वारा प्रतिपादित आधुनिक समाजवाद के मुख्य सिद्धान्तों की व्याख्या कीजिए।
  110. प्रश्न- सिसमाण्डी के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  111. प्रश्न- "सिसमाण्डी समाजवादी विचारक था। " सिद्ध कीजिए।
  112. प्रश्न- मार्क्सवाद की विचारधारा के मूल तत्त्व कौन-कौन से थे?
  113. प्रश्न- मार्क्सवाद की प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख कीजिए।
  114. प्रश्न- वर्ग संघर्ष पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  115. प्रश्न- जे. एस. मिल के प्रमुख आर्थिक विचारों का उल्लेख कीजिए।
  116. प्रश्न- जे. एस. मिल के आर्थिक विचारों पर प्रभाव डालने वाले मुख्य घटकों की विवेचना कीजिए।
  117. प्रश्न- जे आर. हिक्स के विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिए।
  118. प्रश्न- "मिल के द्वारा परम्परावादी अर्थशास्त्र पूर्ण रूप से विकसित किया गया और उसी के साथ उसका पतन प्रारम्भ हुआ।" इस कथन की व्याख्या कीजिए।
  119. प्रश्न- जे. एस. मिल परम्परावादी सिद्धान्तों के किन-किन नियमों से सहमत तथा किन-किन नियमों से असहमत था? स्पष्ट कीजिए।
  120. प्रश्न- जे. एस. मिल के स्वहित सिद्धान्त की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  121. प्रश्न- जे. एस. मिल के स्वतन्त्रता प्रतियोगिता के सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  122. प्रश्न- जे. एस. मिल के जनसंख्या सिद्धांत की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  123. प्रश्न- मिल के समाजवादी विचारों की आलोचना कीजिए।
  124. प्रश्न- 'जे. एस. मिल समाजवादी था'। इस कथन के पक्ष में तर्क दीजिए।
  125. प्रश्न- जे. एस. मिल के आर्थिक विचारों का मूल्यांकन कीजिए।
  126. प्रश्न- जे. बी. से के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  127. प्रश्न- जे. एस. मिल के मजदूरी सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  128. प्रश्न- मिल के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  129. प्रश्न- 'मूल्य व वितरण' के क्षेत्र में मार्शल के योगदान का वर्णन कीजिए।
  130. प्रश्न- स्पष्ट व्याख्या कीजिए कि नव-परम्परावाद क्या है? इस सन्दर्भ में मार्शल के आर्थिक सिद्धान्त के क्षेत्र में योगदान का विश्लेषण कीजिए।
  131. प्रश्न- नव परम्परावाद क्या है? परम्परावादी एवं नव परम्परावादी विचारों में अन्तर बताइये।
  132. प्रश्न- प्रकृतिवाद को जन्म देने वाली शक्तियों की व्याख्या कीजिए तथा आर्थिक विचारधारा में उसका मुख्य योगदान बताइये।
  133. प्रश्न- मार्शल के निरंतरता सिद्धांत पर संक्षिप्त प्रकाश डालिए।
  134. प्रश्न- मार्शल के आभास लगान के संबंध में विचारों की विवेचना कीजिए।
  135. प्रश्न- प्रतिनिधि फर्म के विषय में मार्शल के विचारों पर प्रकाश डालिए।
  136. प्रश्न- मार्शल ने अल्पकालीन व दीर्घकालीन विवाद के हल को कैसे सुलझाया?
  137. प्रश्न- परम्परावादी तथा नवपरम्परावादी विचारों में अन्तर कीजिए।
  138. प्रश्न- मार्शल के उपयोगितावाद पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  139. प्रश्न- शुद्ध उत्पत्ति का सिद्धान्त बताइए।
  140. प्रश्न- राबिन्स के विचारों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  141. प्रश्न- पीगू के आर्थिक कल्याण सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  142. प्रश्न- पीगू ने अर्थशास्त्र का क्षेत्र निर्धारण किस प्रकार किया है?
  143. प्रश्न- पीगू के रोजगार सम्बन्धी विचार का वर्णन कीजिए।
  144. प्रश्न- पीगू के समाजवादी विचारों का वर्णन कीजिए।
  145. प्रश्न- शुम्पीटर के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  146. प्रश्न- सीमान्तवाद क्या है? सीमान्तवादियों का अर्थशास्त्र में क्या योगदान रहा है?
  147. प्रश्न- क्रूनो के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  148. प्रश्न- मूल्य निर्धारण के सम्बन्ध में क्रूनो के विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  149. प्रश्न- गोसेन के आर्थिक विचारों पर प्रकाश डालिए।
  150. प्रश्न- जेवन्स के मूल्य सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  151. प्रश्न- प्रो. एल. वालरा (वालरस) के बाजार सन्तुलन सिद्धान्त की विवेचना कीजिए।
  152. प्रश्न- सिसमण्डी के आर्थिक विचारों की आलोचनात्मक व्याख्या कीजिये।
  153. प्रश्न- सीमान्तवादी क्रान्ति की व्याख्या कीजिए तथा इस सम्बन्ध में मेंजर के विचारों की विवेचना कीजिए।
  154. प्रश्न- जेवन्स के प्रमुख आर्थिक विचारों की विवेचना कीजिए।
  155. प्रश्न- कार्ल मेंजर के द्रव्य सम्बन्धी विचारों को संक्षेप में लिखिए।
  156. प्रश्न- विकस्टीड के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  157. प्रश्न- वालरस के उपयोगिता सम्बन्धी विचार का वर्णन कीजिए।
  158. प्रश्न- वालरस के साम्य सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  159. प्रश्न- कार्ल मेंजर के आर्थिक विचारों पर प्रकाश डालिए
  160. प्रश्न- कार्ल मेंजर के विनिमय सम्बन्धी विचारों का वर्णन कीजिए।
  161. प्रश्न- कार्ल मेंजर के अनुसार वस्तुओं के वर्गीकरण का विश्लेषण कीजिए।
  162. प्रश्न- कार्ल मेंजर के मुद्रा सम्बन्धी विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  163. प्रश्न- जेवेन्स के मूल्य सिद्धान्त का विश्लेषण कीजिए।
  164. प्रश्न- जेवेन्स के आर्थिक विचारों का विश्लेषण कीजिए।
  165. प्रश्न- यूजिन वॉन बाम बावर्क के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  166. प्रश्न- बाम बावर्क के मूल्य सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।
  167. प्रश्न- नटविकसेल के आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  168. प्रश्न- इविंग फिशर के प्रमुख आर्थिक विचारों का वर्णन कीजिए।
  169. प्रश्न- "मुद्रा प्रसार व संकुचन दोनों हानिकारक हैं।" इविंग फिशर के इस विचार का विश्लेषण कीजिए।
  170. प्रश्न- फिशर के मुद्रा के परिमाण सिद्धान्त का वर्णन कीजिए।

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